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एक बार लक्ष्मी नारायण लाल ने अमृता प्रीतम से कहा था " तेरी ज़िन्दगी क्या है? बस एक हादसा। चाहो तो एक रशीदी टिकट पर लिख दो". ऐसा कहने वाला शायद यह भूल गया था कि जीने के लिए विस्तार नहीं बल्कि गहराई चाहिए. "साहिल की रेत" जीवन की इसी गहराई को रेखांकित करती मेरी प्रथम हिंदी कविता संग्रह समस्त साहित्य प्रेमियों एवम पाठकों को सादर समर्पित है। इस पुस्तक में संकलित सभी कविताएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं। इसकी विविधता जीवन की समग्र दृष्टि को दर्शाती है।