मन तरंग मन रूपी समुद्र में उठने वाली वह छोटी-छोटी तरंगें हैं, जिनमें सामाजिक जनचेतना का भाव है तो कहीं आक्रोश का स्वर है। तरंगें सदैव एक सी नहीं रहती नित नए रंग बदलना उनका स्वाभाविक धर्म है। यही परिवर्तन व्यष्टि और समष्टि का जीवन है। मन तरंग अवस्था, दशा, दिशा एवं विचारों के परिवर्तन की एक श्रंखला है जो जन जीवन में व्याप्त सामाजिक ,आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, राजनीतिक, एवं धार्मिक मनोभावों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है।