जीवन दर्पण भाग दो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए एक काव्य संग्रह है जिसमें मानव जीवन में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं का भाव चित्रण किया गया है। मूलतः इस काव्य संग्रह में समाज में लुप्त होती जा रही भारतीय संस्कृति और सभ्यता का जिक्र किया गया है साथ ही उसका कैसे पुनरूद्धार किया जा सकता है इस पर भी प्रकाश डाला गया है। वर्तमान में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों पर सटीक प्रभाव शाली प्रकाश डाला गया है। विरह रस भी अछूता नहीं रह गया है जो मानवीय जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, विशेष रूप से जीवन के उत्तरार्द्ध समय में। कुछ पौराणिक मान्यताओं का जिक्र सभी सारगर्भित रुप से प्रमाण सहित उल्लेखित है। अपने जीवन के सारे अनुभवों एवं दूसरों के अनुभव से सीख लेकर यथा संभव इस पुस्तक को लाभप्रद बनाने का प्रयास किया है। मेरे प्रयास की सफलता पाठक गण के स्नेह के साथ जुड़ा है। इस पुस्तक की रचना में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिनका सहयोग मिला है, उन सभी जनों का मैं सदा आभारी रहूंगा।